यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 27 जनवरी 2020

PADMA AWARD 2020 । पद्म पुरस्कार २०२०। पद्मविभूषण। पद्मभूषण। पद्मश्री।सम्पूर्ण सूची।


केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है।
 वर्ष 2020 में सात हस्तियां पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण और 118 पद्मश्री से सम्मानित की गयीं।  









è  पद्म पुरस्कार से सम्बंधित मुख्य जानकारी➡➡            
उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र पद्म विभूषण से और फैजाबाद के मोहम्मद शरीफ (चाचा शरीफ), उत्तराखंड के योगी ऐरोन समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजे गए ।

è मैरी कॉम, सिंधु समेत खेल जगत की 8 हस्तियों को सम्मान➡➡
वर्ल्ड चैम्पियन बॉक्सर मैरी कॉम और भारत की नंबर वन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को पद्मविभूषण के लिए चुना गया है। पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान, हॉकी कप्तान रानी रामपाल को पद्मश्री दिया गया। कुल 8 खिलाड़ियों-पूर्व खिलाड़ियों को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है।
 è मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति समेत 17 विदेशियों को भी पद्म पुरस्कार➡➡
मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति अनिरूद्ध जगन्नाथ समेत 17 विदेशियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया। जगन्नाथ को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वहीं, भारत में बांग्लादेश के पूर्व राजदूत सैयद मुअज्जिम अली और अमेरिका के प्रोफेसर जगदीश सेठ को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया ब्रिटेन के दो सांसद बॉब ब्लैकमैन और बैरी गार्डनर को पद्मश्री के लिए चुना गया है।

è आनंद महिंद्रा सहित 11 दिग्गज कारोबारियों को 2020 का पद्म पुरस्कार➡➡
उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के 11 दिग्गजों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया है। दिग्गज कारोबारी एवं महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा तथा टीवीएस ग्रुप के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन को पद्म भूषण से नवाजा गया है।
                                                                           





                  
 è  जगदीश लाल आहूजा उर्फ लंगर बाबा को पद्मश्री ➡➡
जगदीश आहूजा को लंगर के लिए जाना जाता है। लोग इन्हें प्यार से लंगर बाबा के नाम से भी बुलाते हैं। वह रोजाना पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में गरीब मरीजों और उनके तीमारदारों को फ्री में भोजन मुहैया कराते हैं। साथ ही मरीजों को आर्थिक सहायता से लेकर कंबल और कपड़े तक अन्य सहायता मुहैया कराते हैं। उन्होंने 1980 के दशक में मुफ्त भोजन परोसना शुरू कर दिया था। वह 2000 में PGIMER चंडीगढ़ चल आए थे और वहीं 15 सालों तक रोजाना 2,000 से अधिक लोगों की सेवा कर रहे हैं।

è  भोपाल गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार (मरणोपरांत) को पद्मश्री➡➡

1984 भोपाल गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले एक्टिविस्ट अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा। अब्दुल जब्बार का बीते साल, 14 नवंबर 2019 को इंतकाल हो गया था।







देखें- पूरी लिस्ट, किसे मिला पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री, अवार्ड

निम्नलिखित 118 हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड मिला, देखें>>>>>>



è  पद्म विभूषण पुरस्कार :-➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡
नाम                                                                                 क्षेत्र   (राज्य/देश)
1 जॉर्ज फर्नाडिस (मरणोपरांत)                                                         लोकसेवा (बिहार)
2अरुण जेटली (मरणोपरांत)                                                           लोकसेवा (दिल्ली)
3अनिरुद्ध जगन्नाथ                                                                          लोकसेवा (मॉरिशस)
4एम सी मैरी कॉम                                                                          खेल (मणिपुर)
5छन्नूलाल मिश्र                                                                                     कला (यूपी)
6 सुषमा स्वराज*                                                                            लोकसेवा (दिल्ली)
7 विश्वेश तीर्थ स्वामीजी*                                                        अन्य-/आध्यात्म (कर्नाटक)












è  पद्म भूषण पुरस्कार :-➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡

नाम                                                                         क्षेत्र(राज्य/देश)
1 एम मुमताज अली                                         अन्य-आध्यात्म (केरल)
2सैयद मुअज्जम अली                                     लोकसेवा (बांग्लादेश)
3मुज्जफर हुसैन बेग                                        लोकसेवा (जम्मू-कश्मीर)
4अजोय चक्रवर्ती                                               कला (पश्चिम बंगाल)
5मनोज दास                                                      साहित्य और शिक्षा (पुडुचेरी)
6 बालकृष्ण दोशी                                                     अन्य/वास्तुकला (गुजरात)
7कृष्णाम्माल जगन्नाथन                                        समाज सेवा (तमिलनाडु)
8 एस सी जमीर                                                       लोकसेवा (नगालैंड)
9अनिल प्रकाश जोशी                                             समाज सेवा (उत्तराखंड)
10तेर्रंशग लैंडोल                                                     चिकित्सा (लद्दाख)
11आनंद महिंद्रा                                                      व्यापार और उद्योग (महाराष्ट्र)
12नीलकंठ रामा कृष्णा मेनन                                 लोकसेवा (केरल)
13 मनोहर पर्रिकर                                                  लोकसेवा (गोवा)
14जगदीश सेठ                                                      साहित्य-शिक्षा (अमेरिका)
15पीवी सिंधू                                                           खेल (तेलंगाना)
16वेणु श्रीनिवासन                                                  व्यापार-उद्योग (तमिलनाडु)














पद्मश्री➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡

नाम                               क्षेत्र(राज्य/देश)
गुरु शशधर आचार्य कला (झारखंड)
डॉ. योगी एरोन चिकित्सा (उत्तराखंड)
जय प्रकाश अग्रवाल व्यापार और उद्योग (दिल्ली)
जगदीश लाल अहूजा समाज सेवा (पंजाब)
काजी मासूम अख्तर साहित्य-शिक्षा (प.बंगाल)
ग्लोरिया एरीरा साहित्य और शिक्षा (ब्राजील)
जहीर खान खेल (महाराष्ट्र)
डॉ. पद्मावती बंदोपध्याय चिकित्सा (यूपी)
डॉ. सुषोवन बनर्जी चिकित्सा (पश्चिम बंगाल)
डॉ. दिगांबर बेहरा चिकित्सा (चंडीगढ़)
डॉ. दमयंती बसरा साहित्य-शिक्षा (ओडिशा)
पवार पोपटराव भागूजी समाज सेवा (महाराष्ट्र)
हिम्मताराम भांभू समाज सेवा (राजस्थान)
संजीव बाखचंदानी व्यापार और उद्योग (यूपी)
गफ्फूरभाई एम बिलखिया व्यापार और उद्योग (गुजरात)
बॉब ब्लैकमैन लोकसेवा (यूके)
इंदिरा पीपी बोरा कला (असम)
मदन सिंह चौहान कला (छत्तीसगढ़)
उषा चौमार समाज सेवा (राजस्थान)
लील बहादुर क्षेत्री साहित्य और शिक्षा (असम)
ललिता और सरोजा चिदंबरम कला (तमिलनाडु)
डॉ. वजिरा चित्रसेना कला (श्रीलंका)
डॉ. पुरुषोत्तम दधीच कला (मध्यप्रदेश)
उत्सव चरण दास कला (ओडिशा)
प्रो. इंद्रा दासानायके* साहित्य और शिक्षा (श्रीलंका)
एचएम देसाई साहित्य और शिक्षा (गुजरात)
मनोहर देवदास कला (तमिलनाडु)
पोयम बेमबेम देवी खेल (मणिपुर)
लिया दिस्किन समाज सेवा (ब्राजील)
एमपी गणेश खेल (कर्नाटक)
डॉ. बेंगलौर गंगाधर चिकित्सा (कर्नाटक)
डॉ. रमन गंगाखेड़कर विज्ञान (महाराष्ट्र)
बैरी गार्डिनर लोकसेवा (यूके)
चेवांग मोटुप गोबा व्यापार और उद्योग (लद्दाख)
भरत गोयनका व्यापार और उद्योग (कर्नाटक)
यदला गोपालराव कला (आंध्रप्रदेश)
मित्रभानु गुनिया कला (ओडिशा)
तुलसी गौड़ा समाज सेवा (कर्नाटक)
सुजॉय के. गुहा विज्ञान (बिहार)
हरेकला हजबा समाज सेवा (कर्नाटक)
इनामुल हक पुरातत्व (बांग्लादेश)
मधु मंसूरी हसमुख कला (झारखंड)
अब्दुल जब्बार* समाज सेवा (मध्य प्रदेश)
बिमल कुमार जैन समाज सेवा (बिहार)
मीनाक्षी जैन साहित्य और शिक्षा (दिल्ली)
नेमनाथ जैन व्यापार और उद्योग (मप्र.)
शांति जैन कला (बिहार)
सुधीर जैन विज्ञान (गुजरात)
बेनीचंद्र जमातिया साहित्य और शिक्षा (त्रिपुरा)
केवी संपत कुमार और
विदुषी जयलक्ष्मी साहित्य और शिक्षा (कर्नाटक)
करण जौहर कला (महाराष्ट्र)
डॉ. लीला जोशी चिकित्सा (मध्यप्रदेश)
सरिता जोशी कला (महाराष्ट्र)
सी. कमलोवा साहित्य और शिक्षा (मिजोरम)
डॉ. रवि कन्नन आर चिकित्सा (असम)
एकता कपूर कला (महाराष्ट्र)
यज्दी नौशीरवान करंजिया कला (गुजरात)
नारायण जे. जोशी करयाल साहित्य और शिक्षा (गुजरात)
डॉ. र्नंरदर नाथ खन्ना चिकित्सा (यूपी)
नवीन खन्ना विज्ञान (दिल्ली)
एसपी कोठारी साहित्य और शिक्षा (अमेरिका)
वीके मुनुसामी कृष्णपक्ष कला (पुडुचेरी)
एमके कुंजोल समाज सेवा (केरल)
मनमोहन महापात्रा* कला (ओडिशा)
उस्ताद अनवर मंगनियार कला (राजस्थान)
कट्टंगल सुब्रमण्यम मणिलाल विज्ञान (केरल)
मुन्ना मास्टर कला (राजस्थान)
अभिराज राजेंद्र मिश्रा साहित्य और शिक्षा (हिप्र.)
बिनापानी मोहंती साहित्य और शिक्षा (ओडिशा)
डॉ. अरुणोदय मोंडल चिकित्सा (पश्चिम बंगाल)
डॉ. पृथ्वींद्र मुखर्जी साहित्य और शिक्षा (फ्रांस)
सत्यनारायण मुनदूर समाज सेवा (अरुणाचल)
मणिलाल नाग कला (पश्चिम बंगाल)
एन. चंद्रशेखरन नायर साहित्य और शिक्षा (केरल)
डॉ. टेट्सु नाकामुरा* समाज सेवा )अफगानिस्तान)
शिव दत्त निर्मोही साहित्य-शिक्षा (जम्मू-कश्मीर)
पु ललिबक्थंग पचुअउ साहित्य और शिक्षा (मिजोरम)
मुजिक्कल पंकजाक्षी कला (केरल)
डॉ. प्रशांत कुमार पटनायक साहित्य और शिक्षा (अमेरिका)
जोगेंद्र नाथ फुकन साहित्य और शिक्षा (असम)
रहिबई सोमा पोपेरे कृषि (महाराष्ट्र)
योगेश प्रवीण साहित्य और शिक्षा (यूपी)
जीतू राय खेल (यूपी)
तरुणदीप राय खेल (सिक्किम)
एस. रामकृष्णन समाज सेवा (तमिलनाडु)
रानी रामपाल खेल (हरियाणा)
कंगना रनौट कला (महाराष्ट्र)
दलवई चलपति राव कला (आंध्रप्रदेश)
शाहबुद्दीन राठौड़ साहित्य और शिक्षा (गुजरात)
कल्याण सिंह रावत समाज सेवा (उत्तराखंड)

चिंताला वेंकट रेड्डी कृषि (तेलंगाना)
डॉ. शांति रॉय चिकित्सा (बिहार)
राधमोहन और साबरमती कृषि (ओडिशा)
बटाकृष्ण साहू पशुपालन (ओडिशा)
ट्रिनिटी साइओ कृषि (मेघालय)
अदनान सामी कला (महाराष्ट्र)
विजय संकेश्वर व्यापार और उद्योग (कर्नाटक)
डॉ. कुशाल कोंवर सरमा चिकित्सा (असम)
सईद महबूब शाह कादरी समाज सेवा (महाराष्ट्र)
मोहम्मद शरीफ समाज सेवा (यूपी)
श्याम सुंदर शर्मा कला (बिहार)
डॉ. गुरदीप सिंह चिकित्सा (गुजरात)
रामजी सिंह समाज सेवा (बिहार)
वशिष्ठ नारायण सिंह विज्ञान (बिहार)
दया प्रकाश सिन्हा कला (यूपी)
डॉ. सैंड्रा डिसूजा चिकित्सा (महाराष्ट्र)
विजयसारथी श्रीभाष्यम साहित्य और शिक्षा (तेंलगाना)
काले शबी महबूब और
शेख महबूब सुबानी कला (तमिलनाडु)
जावेद अहमद टाक समाज सेवा (जम्मू-कश्मीर)
प्रदीप थालापिल्ल विज्ञान (तमिलनाडु)
येशे दोरजी थोंग्ची साहित्य-शिक्षा (अरुणाचल)
रॉबर्ट थुरमन साहित्य और शिक्षा (अमेरिका)
अगुस इंद्र उदयन समाज सेवा (इंडोनेशिया)
हरीश चंद्र वर्मा विज्ञान (यूपी)
सुंदरम वर्मा समाज सेवा (राजस्थान)
डॉ. रोमेश टेकचंद वाधवानी व्यापार और उद्योग अमेरिका
सुरेश वाडकर कला (महाराष्ट्र)
प्रेम वत्स व्यापार और उद्योग (कनाडा)

THANKS …


ABHI_D_FAITH 









◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◇◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆





TAGS #news #national #Padma Awards 2020 Complete List #Padma Shri Awards 2020 #21 people have been conferred Padma Shri Awards # Padma Vibhushan # Padma Bhushan # Arun Jaitley #Sushma Swaraj #पद्मश्री #पद्मविभूषण #पद्मभूषण #पुरस्कार 2020 #पुरस्कार2020 PADMA AWARD 2020  । पद्म पुरस्कार २०२०। पद्मविभूषण। पद्मभूषण। पद्मश्री।सम्पूर्ण सूची।

#PADMA #AWARD #2020  । #पद्म #पुरस्कार २०२०। पद्मविभूषण। पद्मभूषण। पद्मश्री।सम्पूर्ण सूची। 

शनिवार, 25 जनवरी 2020

26 जनवरी । गणतंत्र दिवस शायरी। गणतन्त्र दिवस QUOTS । 26 january Quotes in hindi । भाषण ।

26 जनवरी को भारत देश में गणतंत्र दिवस का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह वो दिन है जब भारत का संविधान लागू हुआ था। इसे बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे थे ।




 इस दिन नई दिल्‍ली में राजपथ पर परेड निकाली जाती है जिसमें भारत की तीनों सेनाओं की झांकियां, हर राज्‍य की झांकियां और कई विभागों की झांकियां शामिल होती है। 





 लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व परिवारीजनों को republic day quotes in hindi, republic day poetry messages in hindi व republic day wishes images भेजकर 26 जनवरी की शुभकामनाएं देते हैं। 




(Happy Republic Day 2020)


वो शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,
वो जज़्बा जो क़ुर्बान हो जाये देश के लिए,
रखते हैं हम भी वो हौंसला,
जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए ।।


गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

खुशनसीब है वो जो वतन पर मिट जाते है,
मर कर भी वो लोग अमर हो जाते हैं,
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पर मिटने वालों
तुम्हारी हर साँस में बसता तिरंगे का नसीब है ।

(Happy Republic Day 2020)
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


 (Happy Republic Day 2020)


(Happy Republic Day 2020)

ना जियो धर्म के नाम पर,
ना मरों धर्म के नाम पर,
इंसानियत ही है धर्म वतन का,
बस जियों वतन के नाम पर
|| भारत माता की जय ||


“हमारे पूर्वजों ने हमें एक शानदार अतीत दिया… .. हमें भविष्य बनाने की आवश्यकता है।”

(Happy Republic Day 2020)


कोई न पूछो की क्या हमारी कहानी है।
हमारी पहचान है बस इतनी कि हम हिंदुस्तानी हैं।


(Happy Republic Day 2020)



“शहीदों का सपना जब सच हुआ …………….
हिंदुस्तान तब स्वतंत्र हुआ……………..
आओ सलाम करें इन वीरों को…………………
जिनकी वजह से भारत गणतंत्र हुआ।”

(Happy Republic Day 2020)


 देशभक्तों के बलिदान से
स्वतन्त्र हुए हैं हम
कोई पूछे कौन हो तो
गर्व से कहेंगे भारतीय हैं हम ।

(Happy Republic Day 2020)


आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतन्त्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, ख़ुशी मनाये।

(Happy Republic Day 2020)


भूख, गरीबी, लाचारी को,
इस धरती से आज मिटायें,
भारत के भारतवासी को,
उसके सब अधिकार दिलायें
आओ सब मिलकर नये रूप में गणतंत्र मनायें…।।

(Happy Republic Day 2020)


इस पोस्ट में हम आपको कुछ गणतंत्र दिवस  संदेश और शुभकामनाएँ साझा की हैं  जो इस देशभक्ति दिवस पर आपके दोस्तों और परिवार को बधाई देने में आपकी मदद करेंगे और देश के प्रति आपके प्यार और सम्मान को प्रदर्शित करेंगे ।



धन्यवाद ।।

सोमवार, 6 जनवरी 2020

बक्सर का युध्द

बक्सर का युद्ध - Battle of Buxar 1764 in Hindi


➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡➡

आज हम बक्सर के युद्ध (Battle of Buxar) के बारे में चर्चा करेंगे. मैं आज ही अपना पोस्ट देख रहा था तो मैंने पाया कि मैंने मध्यकालीन इतिहास के कई छोटे-छोटे युद्ध के विषय में लिख डाला है पर बक्सर का युद्ध भूल ही गया. इसलिए आज आपके सामने बक्सर के युद्ध के बारे में लिखने का फैसला किया है. यह युद्ध क्यों हुआ, क्या कारण (causes) थे, किसके-किसके बीच हुआ और इसके क्या परिणाम (results) सामने आये, ये सब की चर्चा करूँगा.

भूमिका और कारण

1757 के प्लासी युद्ध में मीरकासिम (Mir Qasim) की हार हुई और अंग्रेज़ों ने उसके स्थान पर मीरजाफर को बिठा दिया. मीरजाफर से अंग्रेज़ पैसा और सुविधाएँ इच्छानुसार प्राप्त करने लगे. उधर मीरकासिम पुनः बंगाल के बागडोर अपने हाथ में लेना चाहता था. इसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला (Shuja-ud-Daula), जो कि मुग़ल शासक शाहआलम का प्रधानमंत्री भी था, को अंग्रेजों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए तैयार किया. इसके लिए शुजाउद्दौला ने शाहआलम की ओर से एक धमकी भरी चिट्ठी अंग्रेजों को भेजी. इस चिट्ठी में आरोप लगाया गया था कि अंग्रेज़ उनको दी गई सुविधाओं का अतिक्रमण कर रहे हैं और बंगाल का आर्थिक दोहन कर रहे हैं. अंग्रेजों की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. अंततः शुजाउद्दौला और मीरकासिम ने धैर्य खो दिया और अप्रैल 1764 में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी.

मीरकासिम, शुजाउद्दौला और शाहआलम

मीरकासिम अवध के नवाब शुजाउद्दौला और सम्राट शाहआलम (Shah Alam) से संधि कर बंगाल पर अधिकार के लिए पटना पहुँचा. सम्मिलित सेना के आगमन की सूचना पाकर अंग्रेजी सेना का प्रधान घबरा गया. शुजाउद्दौला के सैनिकों की संख्या 1,50,000 थी जिसमें 40,000 लड़ाई के योग्य थे. शेष संख्या भीड़ मात्र ही थी. सम्राट शाहआलम और मीरकासिम के पास अपनी कोई सेना नहीं थी. सेना के प्रधान ने बक्सर के बदले पटना लौटने का सन्देश अंग्रेज-सेना को दिया. फलतः पटना की घेराबंदी की गई. परन्तु शुजाउद्दौला की सेना में भी अनेक विश्वाघाती व्यक्ति थे. उदाहरण के लिए, सिताबराय का पुत्र महाराजा कल्याण सिंह अवध की सेना में एक ऊँचे पद पर था. सिताबराय अंग्रेजों का मित्र था और उसका मुंशी साधोराम शुजाउद्दौला की सैनिक गतिविधियों की जानकारी पाकर अंग्रेजों को भेजता था. पटने की की घेराबंदी कारगर नहीं हुई. बरसात का मौसम था. इसलिए पटना के बदले शुजाउद्दौला ने बक्सर में ही बरसात बिताने का निश्चय किया.

इस बीच अंग्रेजी सेना के प्रधान के बदले मेजर हेक्टर मुनरो (Hector Munro) को अंग्रेजों ने सेनापति नियुक्त कर पटना भेजा. मुनरो जुलाई, 1764 ई. में पटना पहुँचा. उसे भय था कि देर होने पर मराठों और अफगानों का सहयोग पाकर शुजाउद्दौला अंग्रेजों को पराजित कर सकता है. इसलिए मुनरो ने जल्द युद्ध का निर्णय लिया. मुनरो के आगमन के बाद कुछ भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया जिसे मुनरो ने शांत कर दिया और सभी विद्रोहियों को तोप से उड़ा दिया. मुनरो ने रोहतास के किलेदार साहूमल को प्रलोभन देकर अपने पक्ष में मिला लिया और रोहतास पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया.

बक्सर का युद्ध

मुनरो सोन नदी पार कर बक्सर पहुँचा. 23 अक्टूबर, 1764 ई. को अँगरेज़ और तथाकथित तीन शक्तियों की सम्मिलित सेना के बीच युद्ध प्रारम्भ हुआ. शुजाउद्दौला ने प्रतिदिन सैनिक खर्च के नाम पर मीरकासिम से 11 लाख रुपये की माँग की, परन्तु उतनी रकम पूरी नहीं करने पर वह मीरकासिम से असंतुष्ट हो गया. शुजाउद्दौला ने मीरकासिम की सारी संपत्ति छीन ली. वह खुद बिहार पर अधिकार चाहता था. दूसरी तरफ सम्राट शाहआलम के पास अपनी कोई सेना नहीं थी. वह स्वयं दिल्ली की गद्दी पाने के लिए सहायता का इच्छुक था और अंग्रेजों का आश्वासन पाकर युद्ध के प्रति उदासीन हो चुका था. ऐसी परिस्थिति में बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar) प्रातः 9 बजे से आरम्भ हुआ और दोपहर 12 बजे के पहले ही समाप्त हो गया था. युद्ध में भयंकर गोलाबारी हुई. शुजाउद्दौला की सेना मात्र भीड़ के सामान थी. अंग्रेजी तोपों के सामने अवध की घुड़सवार फ़ौज कोई काम न आ सकी. विजय अंग्रेजों की हुई. दोनों पक्षों की ओर से काफी सेना हताहत हुई पर नवाब की सेना में मरनेवालों की संख्या काफी अधिक थी. शुजाउद्दौला को अपनी सेना पीछे हटा लेनी पड़ी.

शुजाउद्दौला और अंग्रेजों की संधि

बक्सर के युद्ध (Battle of Buxar) में मिली पराजय के बाद सम्राट शाहआलम ने अंग्रेजी सेना के साथ डेरा डाला. अंग्रेजों ने बादशाह का स्वागत किया और शुजाउद्दौला के दीवान राजा बेनीबहादुर के जरिये शुजाउद्दौला से संधि करनी चाही. पर शुजाउद्दौला ने संधि की बात अस्वीकार कर दी. इसलिए नवाब शुजाउद्दौला और अंग्रेजों के बीच चुनार और कड़ा (इलाहाबाद) के पास लड़ाइयाँ हुईं. युद्ध में हार मिलने पर शुजाउद्दौला को अंग्रेजों के साथ संधि करनी पड़ी. अंग्रेजों और शुजाउद्दौला के बीच संधि करने में राजा सिताबराय की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण थी. शुजाउद्दौला को 60 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में अंग्रेजों को देने पड़े. इलाहबाद का किला और कड़ा का क्षेत्र मुगम बादशाह शाहआलम के लिए छोड़ देने पड़े. गाजीपुर और पड़ोस का क्षेत्र अंग्रेजों को देना पड़ा. एक अंग्रेज़ वकील को अवध के दरबार में रहने की आज्ञा दी गई और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझने का आश्वासन दिया.

मीरकासिम का सपना चकनाचूर हो गया. सम्पत्ति छीन लिए जाने के साथ-साथ शुजाउद्दौला ने उसे अपमानित भी किया. मीरकासिम दिल्ली चला गया जहाँ शरणार्थी के रूप में अपना शेष जीवन अत्यंत कठनाई में व्यतीत किया.

परिणाम (Results)

भारत के निर्णायक युद्धों में बक्सर के युद्ध का परिणाम अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है. बक्सर का युद्ध बंगाल में तीसरी क्रांति का प्रतीक था. पहली क्रान्ति प्लासी के युद्ध से शुरू हुई और 1760 ई. में मीरजाफर को हटाकार मीरकासिम को नवाब बनाने के साथ दूसरी क्रान्ति पूरी हुई. अंग्रेजों द्वारा बंगाल में जो नाटक खेला जा रहा था उसके तीसरे और अंतिम दृश्य का पटाक्षेप बक्सर के युद्ध (Battle of Buxar) के रूप में हुआ.

बंगाल पर अंग्रेजों का वास्तविक रूप से अधिकार हो गया और उत्तर भारत का राजनीति पर उनका प्रभाव बढ़ गया.
बक्सर के युद्ध में अवध के नवाब शुजाउद्दौला की पराजय से उत्तर भारत में कोई दूसरी शक्ति नहीं रही जो अंग्रेजों का विरोध कर सकती थी.
शुजाउद्दौला ने अंग्रेजों के साथ मित्रता कर ली और दिल्ली का सम्राट शाहआलाम बंगाल के नवाब की तरह अंग्रेजों की सैनिक सहायता पर निर्भर रहने लगा.
शाहआलम अंग्रेजों का वास्तविक अधिकार बंगाल और बिहार में स्वीकार करने को तैयार था. मुग़ल सम्राट नाममात्र का अपना अधिकार सुरक्षित रखकर अंग्रेजों से किसी प्रकार समझौता करना चाहता था.
बंगाल के नवाब के अधिकार को ख़त्म कर दिया गया. बंगाल के नवाब को सीमित संख्या में सेना रखने की इजाजत दी गई ताकि भविष्य में वह मीरकासिम की तरह अंग्रेजों का विरोध न कर सके.
बंगाल के नवाब के यहाँ एक अंग्रेज़ प्रतिनिधि रहने लगा ताकि अंग्रेजों के खिलाफ कोई षड्यंत्र न रचा जाए.
बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों को जितनी हानि उठानी पड़ी उसकी क्षतिपूर्ति मीरजाफर को करनी पड़ी.
इस प्रकार बंगाल का नवाब मीरजाफर, अवध का नवाब शुजाउद्दौला और दिल्ली सम्राट शाहआलम तीनों अंग्रेजों की दया पर निर्भर थे.
स्वाभविक रूप से बक्सर के युद्ध (Battle of Buxar) के बाद भारतीय राजनीति में अंग्रेजों के प्रभुत्व और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई. बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिल जाने से अंग्रेजों की माली हालत अच्छी हो गई. उत्तर भारत में सत्ता-विस्तार का द्वार खुल गया. मराठों के साथ संघर्ष करने के लिए अंग्रेज़ तत्पर हो गए और अंत में भारत-विजय करने में वे सफल रहे ।

🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆🎆

उम्मीद करते हैं आपको ये जानकारी पसंद आई होगी ।

धन्यवाद ।

DO YOU KNOW BENIFITS OF GREEN COFFEE ☕??Wait loose with Green cofee.Green cofee ke fayde

  DO YOU KNOW BENIFITS OF GREEN COFFEE ☕?? Green coffee is coffee that has not been roasted, and it has gained popularity in recent years du...