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मंगलवार, 22 अगस्त 2023
चंद्रयान -3 मिशन । चंद्रयान- 3 लहराएगा तिरंगा चांद पर । चंद्रयान -3 का LIVE STREAMING देखें ।
भारत के चंद्रयान -3 का चांद पर उतरना एक यादगार मौका है जो न केवल भारतीयों की जिज्ञासा को बढ़ाएगा बल्कि युवाओं के मन में अन्वेषण के लिए एक जुनून भी जगाएगा। आप लोग इस ब्लॉग में इस महत्त्वपूर्ण अविस्मरणीय पल का सीधा प्रसारण देख सकते हैं ।
इतिहास रच दिया भारत ने .....
चंद्रयान -3 का LIVE STREAMING देखें
चंद्रयान -3 चांद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO (इसरो) द्वारा तैयार किया गया तीसरा चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान -2 के जैसा ही एक लैंडर एवं एक रोवर है, लेकिन इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं है।
ये मिशन चंद्रयान -2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला चंद्रयान -2 मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अपने अंतिम समय में मार्गदर्शन SOFTWARE में तकनीकी खराबी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैन्डिंग( SOFT LANDING) का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।
चंद्रयान -3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार ( श्रीहरिकोटा) से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था। चंद्रयान -3 , चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार लगभग सायं 05:27 बजे लैंड करेगा। ।।
चंद्रयान -3 की लैंडिंग को देश व प्रदेश के सभी लोग यूट्यूब चैनल पर सीधे प्रसारण (LIVE STREAMING) के माध्यम से देखेंगे। ।।
चंद्रयान -3 का सीधा प्रसारण देखें
चंद्रयान -3 सफल अब चांद पर लहराएगा तिरंगा
चंद्रयान -3 का LIVE STREAMING देखें
भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण की खोज चंद्रयान -3 मिशन के साथ ही एक उल्लेखनीय मील के पत्थर तक पहुंच गई है जो कि चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। यह भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
बताया गया है कि 23 अगस्त को शाम 5:27 बजे चंद्रयान-3 का चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया का सीधा प्रसारण LIVE, ISRO से आप यहां देख सकते हैं अथवा ISRO का आधिकारिक YouTube Channel और DD National पर भी इसका ब्रॉडकास्ट किया जाएगा।
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चंद्रयान -3 मिशन । चंद्रयान -3 का LIVE STREAMING देखें ।
चंद्रयान-3 मिशन का सीधा प्रसारण देखने के लिए 23 अगस्त को शाम 5:15 से 6:15 तक नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
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गुरुवार, 6 जुलाई 2023
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ??क्या हैं इसके फायदे ? क्यों यह सामाजिक ढांचे के लिए जरूरी है?
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ??क्या हैं इसके फायदे ? क्यों यह सामाजिक ढांचे के लिए जरूरी है?
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले में भारत के PM के हालिया बयान के बाद बहस तेज हो चुकी है। लेकिन यह मुद्दा कानून या संविधान के स्तर पर कोई नया विषय नहीं है।
भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। इसके कारण सामाजिक ढ़ांचा बिगड़ा हुआ है। यही कारण है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है जो सभी जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्टम में लेकर आए।
हालांकि, अभी तक भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कोई आपातकालीन निर्णय नहीं लिया गया है। विवादों और सामाजिक विभाजन के कारण, यह एक विषय है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर विवाद चल रहा है और संविधानिक सुधार की आवश्यकता को लेकर विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच अलगाव है। वैवाहिक, धर्मिक और विरासत संबंधित मामलों में, भारतीय कानून धर्मशास्त्र और श्राद्ध प्रथाओं पर आधारित होता है जो अलग-अलग धर्मीय समुदायों के लिए अलग-अलग होते हैं।
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करने के लिए क्यों आ रही हैं समस्याएं जानें 👉
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कई समस्याएं उठाई जा रही हैं, जो इसको लागू होने से रोक रही हैं। यहां कुछ प्रमुख समस्याएं बताई जा रहीं हैं:👉
☑️ धार्मिक समानता: भारत धर्मनिरपेक्षता का देश है, और यहां धर्म और संस्कृति का गहरा संबंध है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से कुछ धर्मिक और सांस्कृतिक समुदायों की भावनाओं और आचार-अनुष्ठानों को खतरे में डाल सकती है, जिसके कारण धार्मिक समानता के मुद्दे उठ रहे हैं ।
☑️ सांस्कृतिक विविधता: भारत में अनेक सांस्कृतिक समुदाय हैं जो अपनी अलग-अलग संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड के अनुपालन में, यह सांस्कृतिक विविधता को ध्वंस कर सकती है और अलग-अलग समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती है।ये भी एक समस्या हो सकती है।
☑️ विरोध और समर्थन: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने पर समाज में विभाजन का आशंका है। इसके समर्थन कर्ता व विपक्षी समुदायों के बीच में इस विषय पर विवाद है। विशेष रूप से धार्मिक संगठन और राजनैतिक दल यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अलग-अलग मत रखते हैं। जिसके कारण, इसके लागू होने के लिए समाज का विरोध देखा जा रहा है।
☑️ संविधानिक प्रक्रिया: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए संविधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी। संविधानिक संशोधन प्रक्रिया लंबी और विवादास्पद हो सकती है, जिसमें संविधानिक सदन की सहमति और राज्य सभाओं की अनुमति भी आवश्यक होगी।
इन मुख्य समस्याओं के कारण, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की प्रक्रिया भारत में विवादों और चर्चाओं के बीच अटकी हुई है। सरकार को इस मुद्दे पर विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि इसके संबंध में सामरिक, संविधानिक और सामाजिक प्रश्नों का सामना करना पड़ता है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) एक कानूनी प्रणाली है जो एक देश में सभी नागरिकों के लिए एक सामान ( एक देश एक कानून) नागरिक नियमों, विवाह, विवादों, संपत्ति, विरासत, तलाक आदि के मामलों में एक समान नियमानुसारीता की प्रदान करती है। इसका उद्देश्य नागरिकों को धार्मिक या सांस्कृतिक भेदभाव से मुक्ति, सामान्यता, और समानता के साथ नियमितता की प्राप्ति कराना है।
भारत में, यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान भारतीय संविधान के तहत किया जा रहा है। भारतीय संविधान में धारा 44 इसे संविधानिक रूप से प्रावधानित करती है, जो राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य सिविल कोड का संचालन करने का आदेश देती है। इसका उद्देश्य समग्र भारतीय सामाजिक समानता और सामान नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की प्राप्ति है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से, इसका मतलब होगा कि सभी नागरिकों के लिए समान नियमों की प्राथमिकता होगी, और धर्म और संस्कृति से अभिप्रेत नियमों को लागू करने की आवश्यकता कम होगी। इससे सामाजिक और न्यायिक तंत्र को समर्पित, सुविधाजनक और समान बनाने का प्रयास होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अंतिम रूप और इसके लागू होने की विधि भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित होगी। इसमें संविधानिक संसदीय समिति की राय, विशेष संदर्भ और न्यायालयों के निर्णयों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) भारत में लागू होने पर क्या बदलाव होंगे ??
यूनिफॉर्म सिविल कोड के भारत में लागू होने पर कई बदलाव हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य बदलावों की संभावित सूची है:
1= विवाह और तलाक: यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत, विवाह और तलाक के नियम एक सामान्य नियमानुसारीता पर आधारित होंगे। इससे सभी नागरिकों के लिए समान विवाह और तलाक के अधिकार और जिम्मेदारियाँ सुनिश्चित होंगी।
2=संपत्ति और विरासत: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर, संपत्ति के वितरण और विरासत में समानता होगी। इससे धर्म और जाति के आधार पर विरासत में भेदभाव कम होगा और संपत्ति के नियम सभी के लिए समान होंगे।
3=सामाजिक न्याय: यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत, सामाजिक न्याय और न्यायिक प्रक्रियाएं सुविधाजनक और समान होंगी। धार्मिक या सांस्कृतिक मानदंडों पर आधारित न्याय प्रणाली को कम होगा और सभी नागरिकों को समान न्याय मिलेगा।
4=महिला सुरक्षा और अधिकार: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से, महिलाओं को और अधिक सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे। इसके तहत, स्त्री शिक्षा, निकासी और पुनर्वास के नियम समान होंगे। यह महिलाओं को समानता, स्वतंत्रता और सुरक्षा की प्राप्ति में मदद करेगा।
5= सामाजिक सुधार: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर, सामाजिक सुधार की प्रक्रिया गति पाएगी। इसके अंतर्गत, जाति और धर्म से मुक्त नियमानुसारीता नवीनीकरण होगा और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा मिलेगा।
अंत में यही कहना चाहेंगे कि सभी बदलाव समान नागरिक नियमों की प्राथमिकता, सामान्यता और समानता की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए होंगे। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर भारतीय समाज में एकता, इंसानी अधिकारों का प्रभावी संरक्षण और समान नागरिकता की दृष्टि से सुधार होगा।
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शनिवार, 24 जून 2023
क्या है वेगनर ग्रुप ?जिसने रूस में कर दी तख्ता पलट करने की तैयारी । जानिए ..
रूस को इस वक्त बहुत बड़ा झटका लगा है क्योंकि देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई है ।
इस समूह को रूस की निजी सैन्य कंपनी के तौर पर जाना जाता है। पिछले साल युद्ध शुरू होने के बाद रूस की तरफ से इस ग्रुप को यूक्रेन के राष्ट्रपति को ही निशाना बनाने की सुपारी दी गई थी। बताया गया था कि रूस ने किराए पर काम करने वाले हत्यारों के समूह- वैगनर ग्रुप को जेलेंस्की की हत्या का जिम्मा सौंपा था।
देश की जो प्राइवेट आर्मी (Russian Wagner Group) के तौर पर काम करने वाले वैगनर ग्रुप ने अपने ही देश के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया है । इसी बीच राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ( Vladimir Putin) ने कसम खाई है कि पीठ में छुरा भोंकने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
यहां बता दें कि वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवेगनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने चेतावनी दी है कि वे अपना बदला लेकर रहेंगे । इसी बीच रुसी अधिकारियों ने राजधानी सहित देश के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा और कड़ी कर दी है ।
जानिए क्या है यह वैगनर ग्रुप जिसने पुतिन के सामने उनके जीवन की सबसे मुश्किल घड़ी पैदा कर दी है।
कैसे पड़ा वैगनर नाम ??
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समूह में रूस की विशिष्ट रेजीमेंट्स और विशेष बलों के लगभग 5,000 लड़ाके हैं। जनवरी महीने में, यूके के रक्षा मंत्रालय ने यह बताया कि वैगनर समूह में अब यूक्रेन में 50,000 के लगभग लड़ाके शामिल हैं। प्रिगोझिन की अगुवाई वाले वैगनर का नाम उसके पहले कमांडर, दिमित्री उत्किन के नाम पर पड़ा। वह रूस की सेना के विशेष बलों के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल थे और वैगनर उनका निकनेम था। जल्द ही वैगनर ने क्रूर और बेरहम संगठन के तौर पर अपनी इमेज (IMAGE )कायम कर ली। पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र (UN) के विशेषज्ञों ने वैगनर के सैनिकों पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य,माली और लीबिया सहित पूरे अफ्रीका में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
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रूसी वेगनर ग्रुप क्या है ? कैसे काम करता है जानिए :-
रूसी वेगनर ग्रुप (Russian Wagner Group) एक निजी मिलिटरी कंपनी है जिसे रूसी वायुसेना के अधिकारियों के द्वारा समर्थित किया जाता है। इस कंपनी का मुख्यालय रूस में स्थित है और यह विशेष रूप से नगरोद्नोये, संयुक्त राष्ट्र में संघटित दण्डसेना के साथ युद्ध करने और सुरक्षा सेवाओं के लिए भर्ती किया जाता है।
वैगनर ग्रुप आधिकारिक तौर पर पीएमसी वैगनर के रूप में जाना जाता है । ये एक रुसी अर्धसैनिक संगठन है जिसपर देश का कोई भी कानून और नियम लागू नहीं होता । इसे देश की एक प्राइवेट आर्मी के तौर पर देख सकते हैं । इस संगठन को साल 2014 में यूक्रेन से संघर्ष के दौरान पहचान मिली । उस दौर में इसे एक खुफिया सैनिक समूह के रूप में जाना जाता था जो अधिकांश अफ्रीका और मध्य पूर्व में अधिक सक्रीय थे ।
वेगनर ग्रुप को दर्जनों देशों में व्यापार गतिविधियों के लिए जाना जाता है, जिसमें माइनिंग, गैस उत्खनन, निर्माण, औद्योगिक सुरक्षा और रक्षा शामिल हैं। इसके अलावा, वेगनर ग्रुप अन्य देशों में भी सुरक्षा संबंधित सेवाएं प्रदान करती है, जैसे कि निजी सुरक्षा, नियंत्रण कक्ष, परिवहन और अन्य सुरक्षा संबंधित सेवाएं।
हालांकि, वेगनर ग्रुप की गतिविधियों पर रूस सरकार ने स्पष्ट रूप से अपनी जिम्मेदारी या संलग्नता को अस्वीकार किया है और कहा है कि यह एक निजी कंपनी है और उससे मेरी किसी भी प्रकार की युद्ध कार्रवाई संबंधित नहीं हैं। तथापि, वेगनर ग्रुप की गतिविधियों के बारे में कई रिपोर्ट्स और विवाद हैं जो इसे समर्थित रूसी सैन्य अभियांत्रिकी और असामान्य सैन्य कार्रवाई से जोड़ते हैं।
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रविवार, 4 जून 2023
क्या होता है " कवच" ? जिसकी रेल हादसे के बाद खूब चर्चा हो रही है, जानें...
ओडिशा के बालासोर ट्रेन (Balasore Train) के दर्दनाक हादसे में 288 लोगों की मौत के बाद अब रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बहुत से सवाल खड़े हो गए हैं, और इसी बीच कवच सिस्टम (kavach System) की चर्चा भी खूब हो रही है...
जिसका उद्घाटन पिछले ही साल ही जोर-शोर से भारत में किया गया था । ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर उड़ीसा हादसे वाली ट्रेनों में कवच लगा होता तो इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं घटती, जो कि इस रूट पर नहीं लगा था ।
आइए जानते हैं कि क्या है कवच सिस्टम और ये कैसे काम करता है ....
एसीडी नेटवर्क (एंटी-कोलिजन डिवाइस नेटवर्क) यानी की कवच एक ट्रेन-टक्कर रोकथाम प्रणाली है जिसका आविष्कार राजाराम बोज्जी ने किया था और कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन द्वारा पेटेंट कराया गया था। इसे ट्रेनों के बीच टकराव को रोककर रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सिस्टम वास्तविक समय में सटीक स्थान और ट्रेनों की आवाजाही को ट्रैक करने के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) और आरएफ (रेडियो फ्रीक्वेंसी) संचार जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है। यह सिस्टम को संभावित टकराव परिदृश्यों का पता लगाने और उचित निवारक कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
एसीडी ( ACD) नेटवर्क निम्नलिखित प्रमुख घटकों और कार्यात्मकताओं के माध्यम से काम करता है:
👉 टक्कर रोधी उपकरण (ACD): नेटवर्क की प्रत्येक ट्रेन लोकोमोटिव पर स्थापित ACD से सुसज्जित है। इस डिवाइस में एक जीपीएस रिसीवर, आरएफ ट्रांसीवर और एक माइक्रोकंट्रोलर शामिल है।
👉 जीपीएस पोजिशनिंग: एसीडी में जीपीएस रिसीवर ट्रेन की सटीक स्थिति, गति और दिशा निर्धारित करता है। ट्रेन के चलने के साथ ही यह इस जानकारी को लगातार अपडेट करता रहता है।
👉 आरएफ संचार: एसीडी आरएफ संकेतों का उपयोग करके ट्रेन के स्थान और अन्य प्रासंगिक जानकारी प्रसारित करता है। ये सिग्नल पास की ट्रेनों और नेटवर्क में वेसाइड उपकरणों को प्रेषित किए जाते हैं।
👉 डाटा प्रोसेसिंग: अन्य ट्रेनें और वेसाइड रिसीवर आरएफ सिग्नल प्राप्त करते हैं और प्राप्त जानकारी को संसाधित करते हैं। डेटा का विश्लेषण करके, सिस्टम ट्रेनों की सापेक्ष स्थिति, गति और दिशा निर्धारित कर सकता है।
👉 टक्कर का पता लगाना: संसाधित डेटा का उपयोग करके, एसीडी नेटवर्क संभावित टक्कर परिदृश्यों की पहचान कर सकता है। यदि यह पता चलता है कि दो या दो से अधिक ट्रेनें टकराव की स्थिति में हैं, तो यह टकराव को रोकने के लिए चेतावनी प्रणाली और सुरक्षा उपायों को ट्रिगर करता है।
👉 चेतावनी प्रणाली और सुरक्षा उपाय: जब टकराव के जोखिम का पता चलता है, एसीडी नेटवर्क प्रभावित ट्रेनों पर चेतावनी प्रणाली को सक्रिय करता है। इन प्रणालियों में ट्रेन ऑपरेटरों को सचेत करने और टकराव को रोकने के लिए ऑडियो-विजुअल अलार्म, स्वचालित ब्रेकिंग और अन्य सुरक्षा तंत्र शामिल हो सकते हैं।इस टेक्नोलॉजी की वजह से जैसे ही दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आ जाती हैं, तो एक निश्चित दूरी पर ये सिस्टम दोनों ही ट्रेनों को रोक देता है । मतलब, अगर किसी कारणवश लोको पायलट ब्रेक लगाने में फेल हो जाता है तो इस सिस्टम से ऑटोमैटिक रूप से ब्रेक लग जाता है और दो इंजनों के बीच टक्कर को रोका जा सकता है ।
👉 एसीडी नेटवर्क को लागू करने का लक्ष्य ट्रेन की आवाजाही के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करके और समय पर निवारक कार्रवाई को सक्षम करके ट्रेन टक्कर के जोखिम को काफी कम करना है। प्रणाली समग्र रेलवे सुरक्षा में सुधार करती है और ट्रेनों के सुचारू और सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने में मदद करती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एसीडी नेटवर्क विशेष रूप से भारत में कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित और पेटेंट कराया गया था। जबकि सिस्टम के मूल सिद्धांतों को अन्य रेलवे नेटवर्क में लागू किया जा सकता है, प्रत्येक रेलवे सिस्टम की आवश्यकताओं और बुनियादी ढांचे के आधार पर विशिष्ट कार्यान्वयन भिन्न हो सकता है।
देश में कवच की वर्तमान स्थिति क्या है?
(स्रोत :- TV9hindi)
अभी कवच सिर्फ 1500 किलोमीटर रेल ट्रैक पर उपलब्ध है । दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर काम चल रहा है । जल्दी ही इसे पूरा कर लिया जाएगा । रेलवे हर साल चार से पाँच हजार किलो मीटर ट्रैक को कवच से सुरक्षित करने पर काम कर रहा है । मतलब यह हुआ कि अभी पूरे देश को कवच का कवर मिलने में व्यक्त लगेगा ।
कुछ और जरूरी तथ्य
भारत में रेलवे की कुल लंबाई लगभग 65 हजार किलो मीटर ।
सबसे लंबी दूरी की ट्रेन विवेक एक्सप्रेस है जो 4189 किमी, डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलती है ।
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारत में है ।
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