क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ??क्या हैं इसके फायदे ? क्यों यह सामाजिक ढांचे के लिए जरूरी है?
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले में भारत के PM के हालिया बयान के बाद बहस तेज हो चुकी है। लेकिन यह मुद्दा कानून या संविधान के स्तर पर कोई नया विषय नहीं है।
भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। इसके कारण सामाजिक ढ़ांचा बिगड़ा हुआ है। यही कारण है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है जो सभी जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्टम में लेकर आए।
हालांकि, अभी तक भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कोई आपातकालीन निर्णय नहीं लिया गया है। विवादों और सामाजिक विभाजन के कारण, यह एक विषय है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर विवाद चल रहा है और संविधानिक सुधार की आवश्यकता को लेकर विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच अलगाव है। वैवाहिक, धर्मिक और विरासत संबंधित मामलों में, भारतीय कानून धर्मशास्त्र और श्राद्ध प्रथाओं पर आधारित होता है जो अलग-अलग धर्मीय समुदायों के लिए अलग-अलग होते हैं।
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करने के लिए क्यों आ रही हैं समस्याएं जानें 👉
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कई समस्याएं उठाई जा रही हैं, जो इसको लागू होने से रोक रही हैं। यहां कुछ प्रमुख समस्याएं बताई जा रहीं हैं:👉
☑️ धार्मिक समानता: भारत धर्मनिरपेक्षता का देश है, और यहां धर्म और संस्कृति का गहरा संबंध है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से कुछ धर्मिक और सांस्कृतिक समुदायों की भावनाओं और आचार-अनुष्ठानों को खतरे में डाल सकती है, जिसके कारण धार्मिक समानता के मुद्दे उठ रहे हैं ।
☑️ सांस्कृतिक विविधता: भारत में अनेक सांस्कृतिक समुदाय हैं जो अपनी अलग-अलग संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड के अनुपालन में, यह सांस्कृतिक विविधता को ध्वंस कर सकती है और अलग-अलग समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती है।ये भी एक समस्या हो सकती है।
☑️ विरोध और समर्थन: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने पर समाज में विभाजन का आशंका है। इसके समर्थन कर्ता व विपक्षी समुदायों के बीच में इस विषय पर विवाद है। विशेष रूप से धार्मिक संगठन और राजनैतिक दल यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अलग-अलग मत रखते हैं। जिसके कारण, इसके लागू होने के लिए समाज का विरोध देखा जा रहा है।
☑️ संविधानिक प्रक्रिया: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए संविधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी। संविधानिक संशोधन प्रक्रिया लंबी और विवादास्पद हो सकती है, जिसमें संविधानिक सदन की सहमति और राज्य सभाओं की अनुमति भी आवश्यक होगी।
इन मुख्य समस्याओं के कारण, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की प्रक्रिया भारत में विवादों और चर्चाओं के बीच अटकी हुई है। सरकार को इस मुद्दे पर विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि इसके संबंध में सामरिक, संविधानिक और सामाजिक प्रश्नों का सामना करना पड़ता है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) एक कानूनी प्रणाली है जो एक देश में सभी नागरिकों के लिए एक सामान ( एक देश एक कानून) नागरिक नियमों, विवाह, विवादों, संपत्ति, विरासत, तलाक आदि के मामलों में एक समान नियमानुसारीता की प्रदान करती है। इसका उद्देश्य नागरिकों को धार्मिक या सांस्कृतिक भेदभाव से मुक्ति, सामान्यता, और समानता के साथ नियमितता की प्राप्ति कराना है।
भारत में, यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान भारतीय संविधान के तहत किया जा रहा है। भारतीय संविधान में धारा 44 इसे संविधानिक रूप से प्रावधानित करती है, जो राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य सिविल कोड का संचालन करने का आदेश देती है। इसका उद्देश्य समग्र भारतीय सामाजिक समानता और सामान नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की प्राप्ति है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से, इसका मतलब होगा कि सभी नागरिकों के लिए समान नियमों की प्राथमिकता होगी, और धर्म और संस्कृति से अभिप्रेत नियमों को लागू करने की आवश्यकता कम होगी। इससे सामाजिक और न्यायिक तंत्र को समर्पित, सुविधाजनक और समान बनाने का प्रयास होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अंतिम रूप और इसके लागू होने की विधि भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित होगी। इसमें संविधानिक संसदीय समिति की राय, विशेष संदर्भ और न्यायालयों के निर्णयों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) भारत में लागू होने पर क्या बदलाव होंगे ??
यूनिफॉर्म सिविल कोड के भारत में लागू होने पर कई बदलाव हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य बदलावों की संभावित सूची है:
1= विवाह और तलाक: यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत, विवाह और तलाक के नियम एक सामान्य नियमानुसारीता पर आधारित होंगे। इससे सभी नागरिकों के लिए समान विवाह और तलाक के अधिकार और जिम्मेदारियाँ सुनिश्चित होंगी।
2=संपत्ति और विरासत: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर, संपत्ति के वितरण और विरासत में समानता होगी। इससे धर्म और जाति के आधार पर विरासत में भेदभाव कम होगा और संपत्ति के नियम सभी के लिए समान होंगे।
3=सामाजिक न्याय: यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत, सामाजिक न्याय और न्यायिक प्रक्रियाएं सुविधाजनक और समान होंगी। धार्मिक या सांस्कृतिक मानदंडों पर आधारित न्याय प्रणाली को कम होगा और सभी नागरिकों को समान न्याय मिलेगा।
4=महिला सुरक्षा और अधिकार: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से, महिलाओं को और अधिक सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे। इसके तहत, स्त्री शिक्षा, निकासी और पुनर्वास के नियम समान होंगे। यह महिलाओं को समानता, स्वतंत्रता और सुरक्षा की प्राप्ति में मदद करेगा।
5= सामाजिक सुधार: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर, सामाजिक सुधार की प्रक्रिया गति पाएगी। इसके अंतर्गत, जाति और धर्म से मुक्त नियमानुसारीता नवीनीकरण होगा और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा मिलेगा।
अंत में यही कहना चाहेंगे कि सभी बदलाव समान नागरिक नियमों की प्राथमिकता, सामान्यता और समानता की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए होंगे। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर भारतीय समाज में एकता, इंसानी अधिकारों का प्रभावी संरक्षण और समान नागरिकता की दृष्टि से सुधार होगा।
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