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जानें आर्टिकल 370 के हटने से जम्मू और कश्मीर में क्या-क्या बदल जायेगा??(ARTICLE 370 ) (ARTICLE 35A)
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भारत को आजादी मिलने के बाद *20 अक्टूबर, 1947* को पाकिस्तान समर्थित ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और काफी हिस्सा हथिया लिया था । इस हिस्से को आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है ।
आर्टिकल 370 के हटने से निम्न परिवर्तन होंगे ।
*1.* आर्टिकल 370 के अनुसार रक्षा, विदेशी मामले और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटते ही कोई भी कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो जायेगा ।
*2.* आर्टिकल 370 के कारण जम्मू & कश्मीर का अपना संविधान है और इसका प्रशासन इसी के अनुसार चलाया जाता है ना कि भारत के संविधान के अनुसार
यदि आर्टिकल 370 को हटा दिया जाता है तो कश्मीर का प्रशासन भी भारत के संविधान के अनुसार चलेगा ।
*3.* जम्मू & कश्मीर के पास 2 झन्डे हैं । एक कश्मीर का अपना राष्ट्रीय झंडा है और भारत का तिरंगा झंडा भी यहाँ का राष्ट्रीय ध्वज है ।
यदि आर्टिकल 370 को हटा दिया जाता है तो कश्मीर का झंडा ख़त्म हो जायेगा ।
*4.* देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। अर्थात इस राज्य में संपत्ति का मूलभूत अधिकार अभी भी लागू है लेकिन _आर्टिकल 370 के हटने के साथ ही अन्य भारतीय लोगों को कश्मीर में जमीन और अन्य संपत्तियां खरीदने की अनुमति मिल जाएगी और रहने/बसने का अधिकार भी मिल जायेगा ।
*5.* कश्मीर के लोगों को 2 प्रकार की नागरिकता मिली हुई है; जो कि ख़त्म हो जाएगी और सबको केवल भारत का नागरिक माना जायेगा ।
*6.* अभी *यदि कोई कश्मीरी महिला किसी भारतीय से शादी कर लेती है तो उसकी कश्मीरी नागरिकता ख़त्म हो जाती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटने के बाद ऐसा नहीं होगा क्योंकि दोनों ही भारत के नागरिक हो जायेंगे ।
*7.* यदि कोई पाकिस्तानी लड़का किसी कश्मीरी लड़की से शादी कर लेता है तो उसको भारतीय नागरिकता भी मिल जाती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटते ही कोई भी पाकिस्तानी शादी करके मान्यता प्राप्त नहीं कर पायेगा ।
*8.* भारतीय संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निर्देशक तत्व) और भाग 4 A (मूल कर्तव्य) इस राज्य पर लागू नहीं होते हैं ।
अर्थात
आर्टिकल 370 के हटते ही कश्मीर के लोगों को भारत के संविधान में लिखे गये मूल कर्तव्यों को मानना अनिवार्य हो जायेगा और उनको महिलाओं की अस्मिता, गायों की रक्षा करनी पड़ेगी ।
*9.* जम्मू एंड कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों (राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज इत्यादि) का अपमान करना अपराध की श्रेणी में आ जायेगा। ।
*10.* जम्मू कश्मीर में आर्थिक आपातकाल (अनुच्छेद 360) लगाया जा सकेगा ।
*11.* सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीय आपातकाल लगते ही यह पूरे कश्मीर में भी लागू हो जायेगा ।राष्ट्रपति के विशेष आदेश की जरूरत नहीं पड़ेगी ।
*12.* सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून कश्मीर में भी लागू होने लगेंगे ।
*13.* राज्य सरकार की नौकरियों में अन्य राज्यों के लोग भी सेलेक्ट हो सकेंगे ।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए संसद में कानून बनाने की जरूरत नहीं है । राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी कर इस धारा को खत्म कर सकते हैं ।
अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को लेकर कहा था कि सालों से बने रहने के चलते अब यह धारा एक स्थायी प्रावधान बन चुकी है, जिससे इसको खत्म करना असंभव हो गया है ।हालाँकि अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए तैयार है ।
सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका पर सुनवाई करेगा, उसमें तर्क दिया गया है कि यह धारा संविधान के भाग 21 के तहत एक प्रावधान है ।इसके शीर्षक में ही अस्थायी प्रावधान होना लिखा था ।यह स्थायी नहीं है ।
ज्ञातव्य है कि जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय भी आर्टिकल 370 को स्थायी मान चुका है।
ध्यान रहे कि भारतीय संविधान के अनेक कानून जम्मू-कश्मीर में लागू हो गए हैं और अब संविधान के अनुच्छेद-356 के तहत कश्मीर में 6 महीने राज्यपाल शासन के बाद राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है। सीएजी, चुनाव आयोग समेत कई संवैधानिक संस्थाओं का जम्मू-कश्मीर में बराबर का अधिकार है ।
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का मानना है कि अनुच्छेद 370 ने ही जम्मू-कश्मीर और शेष भारत को जोड़ रखा है ।यह दोनों के बीच एकमात्र संवैधानिक कड़ी है ।
इस बात की भी संभावना है कि आर्टिकल 370 के हटते ही अलगाववादी जनमत संग्रह के मुद्दे को तूल देंगे और जम्मू-कश्मीर विवाद के अंतरराष्ट्रीयकरण का प्रयास करेंगे जिससे भारत सरकार के ऊपर इंटरनेशनल प्रेशर बढेगा।
एक्चुअली में यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है लेकिन वर्तमान सरकार के साथ अन्य सरकारें भी इस मुद्दे को लटकाकर अपने राजनीतिक हितों को साधना चाहती हैं ।
जम्मू & कश्मीर में आतंक की मुख्य वजह वहां के कुछ अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हित हैं। ।
अब समय की जरूरत यह है कि कश्मीर के लोग इन अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हितों को समझें और इस प्रदेश में मौजूद पर्यटन की संभावनाओ को बढ़ावा देकर इस प्रदेश को सही मायने में भारत का स्विट्ज़रलैंड बनायें।
⏩ जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन होगा ।
⏩ सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा दी है ।
⏩ अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश होगा ।
⏩ 370 हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा भी छिन गया है ।
केंद्र सरकार ने आज राज्यसभा में संविधान की धारा 370 ( ARTICLE 370 ) को हटाने का ऐलान किया ।यह धारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देती है । सरकार के ऐलान के अनुसार जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) को दो हिस्सों में बांट दिया गया है । इसमें जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, वहीं लद्दाख को दूसरा केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है । गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख (Ladakh) में विधानसभा नहीं होगी । उन्होंने कहा कि यह कदम सीमा पार आतंकवाद के लगातार खतरे को देखते हुए उठाया गया है ।
तीन हिस्सों में बांटा जायेगा जम्मू-कश्मीर राज्य को
पहला कश्मीर, दूसरा जम्मू और तीसरा लद्दाख
जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सो में बाँटा जाएगा ।
जम्मू-कश्मीर एक राज्य होगा जबकि लद्दाख दूसरा राज्य होगा, दोनों राज्य केंद्र शासित होगे ।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठित होगी जबकि लद्दाक में नहीं होगी ।
विपक्ष के सांसद राज्यसभा में लगातार कर रहे हैं हंगामा ।
पहले
जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा था ।वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं था ।
अब
जम्मू कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा और भारत के दूसरे हिस्सों की तरह यहां भी तिरंगा ही लहराया जाएगा । अब वहां के लोगों को भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करना होगा ।
पहले
वोट का अधिकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को था । देश के दूसरे राज्यों के नागरिक को वहां की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने का अधिकार नहीं था ।
अब
देश के दूसरे राज्यों के नागरिक भी अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और वोट कर सकते है ।धारा 370 समाप्त किए जाने के साथ ही 'वोट का अधिकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों' वाला प्रावधान समाप्त हो गया है ।
पहले
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था जबकि देश के किसी भी राज्य में किसी भी राज्य सरकार का कार्यकाल 5 साल से अधिक का नहीं होता है ।
अब
देश के किसी भी राज्य की तरह जम्मू-कश्मीर में भी अब विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होगा । विधानसभा के 6 साल का कार्यकाल धारा 370 के समाप्त होते ही खत्म हो जाएगा ।
पहले
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती थी ।
अब
जम्मू कश्मीर के लोगों के पास सिर्फ एक भारतीय नागरिकता होगी ।
पहले
भारत के नागरिकों को स्पेशल राज्य का दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं थी । यानी कि दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे ।
अब
धारा 370 के खत्म होते ही दूसरे राज्यों के लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे ।
पहले
जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी । इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी ।
अब
अब चूंकि 370 को हटा दिया गया तो दोहरी नागरिकता भी अपने आप खत्म हो गई है । इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर की महिला किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से विवाह करती है तो भी वो सिर्फ भारतीय ही कहलाएगी ।
पहले
धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी ।
अब
धारा 370 हटाने के बाद अब कश्मीर के लोग सिर्फ भारतीय नागरिक हैं । अगर कोई पाकिस्तानी भारतीय नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा ।
पहले
भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते थे ।
अब
अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्य होंगे ।
Sources
#NDTVINDIA
#NDTVNEWS
#EXCLUSIVE
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जानें आर्टिकल 370 के हटने से जम्मू और कश्मीर में क्या-क्या बदल जायेगा??(ARTICLE 370 ) (ARTICLE 35A)
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यदि आर्टिकल 370 को हटा दिया जाता है तो कश्मीर का प्रशासन भी भारत के संविधान के अनुसार चलेगा ।
अर्थात
आर्टिकल 370 के हटते ही कश्मीर के लोगों को भारत के संविधान में लिखे गये मूल कर्तव्यों को मानना अनिवार्य हो जायेगा और उनको महिलाओं की अस्मिता, गायों की रक्षा करनी पड़ेगी ।
ज्ञातव्य है कि जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय भी आर्टिकल 370 को स्थायी मान चुका है।
इस बात की भी संभावना है कि आर्टिकल 370 के हटते ही अलगाववादी जनमत संग्रह के मुद्दे को तूल देंगे और जम्मू-कश्मीर विवाद के अंतरराष्ट्रीयकरण का प्रयास करेंगे जिससे भारत सरकार के ऊपर इंटरनेशनल प्रेशर बढेगा।
पहला कश्मीर, दूसरा जम्मू और तीसरा लद्दाख
जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सो में बाँटा जाएगा ।
जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा था ।वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं था ।
अब
जम्मू कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा और भारत के दूसरे हिस्सों की तरह यहां भी तिरंगा ही लहराया जाएगा । अब वहां के लोगों को भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करना होगा ।
वोट का अधिकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को था । देश के दूसरे राज्यों के नागरिक को वहां की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने का अधिकार नहीं था ।
अब
देश के दूसरे राज्यों के नागरिक भी अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और वोट कर सकते है ।धारा 370 समाप्त किए जाने के साथ ही 'वोट का अधिकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों' वाला प्रावधान समाप्त हो गया है ।
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था जबकि देश के किसी भी राज्य में किसी भी राज्य सरकार का कार्यकाल 5 साल से अधिक का नहीं होता है ।
अब
देश के किसी भी राज्य की तरह जम्मू-कश्मीर में भी अब विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होगा । विधानसभा के 6 साल का कार्यकाल धारा 370 के समाप्त होते ही खत्म हो जाएगा ।
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती थी ।
अब
जम्मू कश्मीर के लोगों के पास सिर्फ एक भारतीय नागरिकता होगी ।
भारत के नागरिकों को स्पेशल राज्य का दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं थी । यानी कि दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे ।
धारा 370 के खत्म होते ही दूसरे राज्यों के लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे ।
जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी । इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी ।
अब चूंकि 370 को हटा दिया गया तो दोहरी नागरिकता भी अपने आप खत्म हो गई है । इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर की महिला किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से विवाह करती है तो भी वो सिर्फ भारतीय ही कहलाएगी ।
धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी ।
धारा 370 हटाने के बाद अब कश्मीर के लोग सिर्फ भारतीय नागरिक हैं । अगर कोई पाकिस्तानी भारतीय नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा ।
भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते थे ।
अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्य होंगे ।
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